कपालभांति कफ सम्बन्धी सभी गडबडियों को दूर करता है
कपालभाँति:
कपाल का अर्थ मस्तक या सिर तथा भाति का अर्थ सफाई करना होता है ।अर्थात सिर को शुद्ध करना ।प्राणायाम की इस तकनीक मे हमारे मस्तिष्क के केन्द्र जो श्वाश की क्रिया को नियत्रित करतें हैं वे विशेषकर प्रशिक्षित होकर प्रतिभा सम्पन्न हो जातें हैं । मानसिक रूप से इस प्राणायाम से शकित बढ जाने पर हम कफ जैसी बीमारी को आसानी से दूर कर सकतें हैं ।वस्तुतः कपाल भाति को 2 भागों मे बिभाजित किया जा सकता है ।
1 स्थूल कपालभांति। 2 सूक्ष्म कपालभांति
यहां पर हम स्थूल कपाल भाति की ही चर्चा करेगें । स्थूल कपालभाति को बिल्कुल वैसे ही किया जाता है जैसे छींक ली जाती है ।दूसरे शब्दों मे इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि छींकने को ही कपालभांति कहतें हैं । छीकने से जो लाभ होता है वही कपालभाति से होता है । चूकि छीकने का कोई निश्चित समय तो होता नही इसीलिये येगियों ने शरीर की नियमित सफाई के लिये छीकने जैसी क्रिया कपालभाति को चुना । जिसके प्रतिदिन के अभ्यास से अनेक रोंगों से बचा जा सकता है । जिसे कोई रोग नही उसको भी यह क्रिया अवस्य करनी चाहिये उसकी शकित बढ जायेगी ।
कपालभांति (स्थूल) करने की विधि
शरीर को स्थिर बनाने वाले किसी भी आसन जैसे पदमासन सिद्धासन सिद्धयोनि आसन मे बैठें ।तथा दोनो हाथों को घुटनो पर रखें । आंखे बन्द कर ले। अब जैसे हम छींकतें है वैसे ही कपालभांति करना प्रारम्भ करें । । झटके से स्वाश को नाक से आवाज के साथ बाहर निकाला जाता है ।जब झटके से श्वाश बाहर निकले तब पेट भी पिचक जाना चाहिये । इस समय मुह बन्द होना चाहिये । श्वाश को अन्दर आराम से आने दें । प्रति शेकेन्ड एक श्वाश के हिसाब से 12 चक्र कपाल भाति करिये अर्थात छींकिये। 12 बार करने के बाद आराम कर लें इस समय भी आंखें बन्द होनी चाहिये ।आराम करने बाद 12 बार फिर से कपाल भाति दोहरायें ।प्रत्येक 12 चक्र के करने के बाद आराम करना आवस्यक है । प्रथम अभ्यासी को कपालभाति मात्र 24 बार करना चाहिये । 15 दिनो के बाद इसे 48 बार बढा देना चाहिये । इसके बाद यदि और बढाना चाहतें हैं तो किसी यौगिक गुरू से सलाह अवस्य ले लें ।जिन्हें न समझ मे आता हो वे केवल छींकने का अभ्यास करें ।
लाभ
• समूचे शरीर को शुद्ध करता है कयोकि शरीर से अधिक मात्रा मे कार्वन की मात्रा निकालता है ।
मस्तिष्क को आकसीजन की आपूर्ति आसानी से करता है अतः व्यर्थ का चिन्तन धटाता है ।
• मस्तिष्क मे आकसीजन की आपूर्ति आसानी से होने के कारण चयापचय की शक्ति बढ जाती है ।
• कब्ज को आसानी से दूर कर देता है
• तथा पाचनशकित को भी बढा देता है ।
• दमा कफ ब्रोंकाइटिस ताथा तपेदिक की शिकायत को आसानी से दूर करता है ।
• अम्ल पित्त तथा डकार नियन्त्रित हो जाती है ।
• हदय की शकित को बढा देता है ।
• बडी आंत मे रूकी हुई गैस आसानी से निकल जाती है ।
• इस क्रिया के अच्छे अभ्यास से मोटापा बहुत जल्दी दूर होता है ।
सावधानियां ; किसी भी प्रानायाम को करने के पूर्व उसकी सावधानियों पर नजर अवस्य रखना चाहिये । गुरु से सलाह अवश्य लें ।